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कई क्षेत्रों में जंगली जानवरों की दहशत सीमांत के 8.72 फीसदी लोगों ने छोड़ दी खेती

हर चुनाव में यह मुद्दा जोर शोर से उठता है लेकिन पहाड़ को वीरान कर रहे पलायन के मुद्दे को बाद में हाशिए पर धकेल दिया जाता है। एक ओर प्रदेश सरकार लोगों को खेती, किसानी, बागवानी के लिए प्रेरित कर रही है दूसरी ओर जंगली जानवरों से निपटने के लिए राज्य बनने के दो दशक बाद भी कोई नीति नहीं बन पाई है। फसलों को लगातार नुकसान पहुंचाने और जंगली जानवरों के भय के कारण सीमांत पिथौरागढ़ जिले के 8.72 फीसदी लोग खेतीबाड़ी छोड़कर पलायन कर चुके हैं। जिन खेतों में फसलें लहलहाती थी वह खेत बंजर पड़े हैं और उनमें अब कंटीली झाड़ियां उग आई हैं। हर चुनाव में यह मुद्दा जोर शोर से उठता है लेकिन पहाड़ को वीरान कर रहे पलायन के मुद्दे को बाद में हाशिए पर धकेल दिया जाता है। पिथौरागढ़ जिले में 1739 राजस्व गांव हैं। इनमें से आबाद गांवों की संख्या 1640 है। जिले के कुल 973 गांव पलायन की जद में हैं। पलायन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार सीमांत जिले पिथौरागढ़ के 384 गांवों से लोगों ने बड़ी संख्या में पलायन किया है।

जिले के जिन दस हजार लोगों ने स्थायी रूप से पलायन किया उनमें सबसे अधिक 42.81 प्रतिशत पलायन रोजगार के लिए हुआ है। 19.15 प्रतिशत लोगों ने शिक्षा के लिए गांव छोड़े। 10.13 प्रतिशत लोग स्वास्थ्य सुविधा नहीं होने से शहरों में चले गए। पलायन का चौथा और सबसे बड़ा कारण जंगली जानवर हैं।

किसान हाड़तोड़ मेहनत कर फसल उगाते हैं और जंगली जानवर फसलों को नुकसान पहुंचा देते हैं। गांवों में बंदरों की संख्या बढ़ती जा रही है। बंदर, सुअर, सेही, भालू के फसलों को नुकसान पहुंचाने से 8.72 प्रतिशत लोगों ने खेती छोड़ दी।

इनमें जंगली जानवरों के भय से 4.6 प्रतिशत जबकि कृषि उत्पादन में कमी के कारण 4.66 प्रतिशत लोगों ने गांव छोड़ा हैं। चिंताजनक बात यह है कि सरकार वन्य जीवों से निपटने के लिए अभी भी कोई ठोस नीति नहीं बन पाई है।

स्वरोजगार करने वाले युवाओं के सामने बड़ी चुनौती
कोरोना के दौरान वर्ष 2020 में बड़ी संख्या में गांवों को लौटे युवाओं ने सब्जी, फल उत्पादन की दिशा में काम करना चाहा। इन युवाओं के सामने भी जंगली जानवर प्रमुख बाधा बन गए। पिथौरागढ़ के प्रगतिशील काश्तकार त्रिभुवन चंद्र बताते हैं कि वह सब्जी उत्पादन कर रहे हैं लेकिन बंदरों से फसलों की सुरक्षा बड़ी चुनौती है। एक आदमी बंदरों को भगाने के लिए रखना पड़ता है। उनका कहना है कि बंदरों से पहाड़ की खेती बचाने के लिए सरकार को बंदर बाड़े बनाने चाहिए।

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