जल जीवन मिशन के तहत मात्र एक रुपये में दिए गए नल कनेक्शनों पर अब हर तिमाही 578 रुपये (वार्षिक 2,312 रुपये) का बिल थमाया जाएगा। यह नया नियम पुराने कनेक्शनों पर भी पूरी तरह लागू होगा, जिससे उन ग्रामीण परिवारों को झटका लगा है जो घर-घर नल का सपना साकार होते देख खुश थे। अब यह सौदा उन्हें महंगा पड़ने लगा है।
बिल में भारी बढ़ोतरी
जल संस्थान ने सभी पेयजल योजनाओं के बीच का भेदभाव खत्म कर दिया है। पहले दो श्रेणियां थीं:
- ग्रेविटी योजनाएं: बिना पंपिंग के पानी की सप्लाई।
- हाई हेड योजनाएं: पंपिंग की जरूरत वाली महंगी योजनाएं।
अब अगर किसी क्षेत्र में दोनों तरह की योजनाएं चल रही हैं, तो पूरे इलाके को हाई हेड यूनिट मानकर सबसे ऊंची दर वसूल की जाएगी। पहले जल जीवन मिशन कनेक्शनों पर तिमाही बिल 430 रुपये था, जो अब बढ़कर 578 रुपये हो गया—यानी 148 रुपये की सीधी बढ़ोतरी।
पुराने कनेक्शन भी फंसे जाल में
पिथौरागढ़ जैसे सीमांत जिलों में जल जीवन मिशन के तहत 95,400 कनेक्शन दिए गए, जिनमें 40% पुरानी योजनाओं से जुड़े हैं। इन्हें भी नई श्रेणी में डाल दिया गया है। नतीजा: नया हो या पुराना, हर कनेक्शन पर एकसमान बिल। स्थानीय लोग इसे अन्याय बता रहे हैं और सवाल उठा रहे हैं कि मुफ्त सुविधा का वादा कहां गया?
ग्रामीण उपभोक्ताओं में आक्रोश बढ़ता जा रहा है, क्योंकि शुरू में पानी लगभग मुफ्त था, फिर धीरे-धीरे चार्ज शुरू हुए, और अब यह बोझल शुल्क। जल संस्थान का तर्क है कि रखरखाव और पंपिंग खर्च बढ़ गए हैं, लेकिन लोगों का कहना है कि यह ‘एक रुपये का सपना, 2,312 रुपये का बोझ’ बन गया है।
