दीपावली के महापर्व पर कोसी घाटी के किसानों को हुए नुकसान का असर इस बार पूरे क्षेत्र में साफ नजर आया। भारी बारिश और बाढ़ के कारण फसलों के चौपट हो जाने से किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। खेतीबाड़ी में हुए नुकसान ने न सिर्फ उनकी आजीविका पर असर डाला, बल्कि दीपावली की खुशियाँ भी कम कर दीं।
कोसी घाटी के मध्य स्थित गरमपानी-खैरना बाजार क्षेत्र में इस बार उम्मीद से काफी कम खरीददार पहुंचे। सामान्यतः दीपावली से पहले जहां बाजारों में रौनक और भीड़भाड़ रहती है, वहीं इस बार सन्नाटा और सुस्ती नजर आई। व्यापारियों के मुताबिक, बिक्री के लिए लाया गया अधिकांश सामान दुकानों में जस का तस पड़ा रहा।
स्थानीय व्यापारियों ने बताया कि कारोबार में इस वर्ष स्पष्ट रूप से मंदी छाई रही। दीपावली के मौके पर बेहतर बिक्री की उम्मीद में हल्द्वानी, रुद्रपुर और काशीपुर जैसे शहरों से व्यापारी भारी मात्रा में सामान लेकर आए थे और दुकानों को विशेष रूप से सजाया गया था, लेकिन गांवों से खरीददारों के न आने से उम्मीदें टूट गईं।
किसानों के मुताबिक, बीते दिनों हुई भारी बारिश और बाढ़ ने खेतों में धान, मंडुवा, गहत, भट्ट, मास जैसी फसलें पूरी तरह नष्ट कर दीं। उपज को बाजार में बेचने से होने वाली आमदनी न होने के कारण वे खरीददारी नहीं कर सके।
व्यापारी कुंदन सिंह, मनोज नैनवाल, कैलाश नैनवाल, देवेश कांडपाल और संजय सिंह ने बताया कि कोसी घाटी का बाजार किसानों की आय पर ही निर्भर करता है। जब फसलों की पैदावार अच्छी होती है, तो बाजारों में चहल-पहल रहती है। लेकिन इस वर्ष फसलों के नुकसान से दीपावली की चमक भी फीकी पड़ गई और व्यापार लगभग ठप हो गया।
किसानों ने सरकार से उचित मुआवजे की मांग की है ताकि वे अपनी आर्थिक स्थिति को संभाल सकें और आने वाले सीजन में फिर से खेती शुरू कर सकें।