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47 साल बाद फिर शुरू हुई यह परंपरा, टिहरी के महाराज ने किया रावल का पट्टाभिषेक

नरेंद्रनगर राज महल में बदरीनाथ धाम के मुख्य रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी का टिहरी राज परिवार ने पट्टा अभिषेक कर 47 साल पुरानी परंपरा को पुर्न जीवित किया। इससे पूर्व धाम के रावल टी केशवन नंबूदरी का पट्टा अभिषेक हुआ था।

इस वर्ष 12 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनों को खुल जाएंगे। बदरी-केदर मंदिर समिति की पहल पर सोमवार को नरेंद्रनगर स्थित टिहरी राजदरबार में राज पुरोहित कृष्ण प्रसाद उनियाल ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना के बाद बदरीनाथ के मुख्य रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी को महाराजा मनुजेंद्र शाह, महारानी माला राज्यलक्ष्मी शाह और राजकुमारी श्रीजा ने पट्टाभिषेक करवाया। राज परिवार ने रावल को सोने का कड़ा धारण करवाया और अंग वस्त्र भी भेंट किए। बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डॉ़ हरीश गौड़ ने बताया कि रावल की नियुक्ति मंदिर समिति के एक्ट 1939 से पूर्व महाराजा टिहरी द्वारा की जाती थी। पट्टा अभिषेक और सोने का कड़ा रावल को धारण करवाना उसी परंपरा का प्रतीक है। इससे पूर्व वर्ष 1977 में धाम के रावल टी केशवन नंबूरदरी का पट्टाभिषेक हुआ था, जिसके बाद यह परंपरा रुक गई थी। करीब 47 वर्ष बाद यह परंपरा फिर से शुरू हुई है। राज दरबार के राजपुरोहित कृष्ण प्रसाद उनियाल के अनुसार रावल के पट्टाभिषेक की परंपरा पुरानी है, लेकिन पूर्व में राजमाता और महाराजा के निधन होने और अन्य कारणों से बीच में यह परंपरा संपन्न नहीं हो पाई। इस मौके पर बदरी-केदार समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय, उपाध्यक्ष किशोर पंवार, बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, राजपाल जड़धारी आदि मौजूद थे।

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