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स्वर्गीय काशीनाथ पाल जी की पुण्यतिथि के अवसर पर महुली महसों राजमहल में किया जाएगा मिलन समारोह का आयोजन

Rajmahal Mahso, Uttar Pradesh

महुली /अस्कोट, – 13 अक्टूबर 2025, दोपहर 1:36 बजे

प्रसिद्ध राष्ट्रीय संत सूरजदास सूर्यवंशी ने कत्यूरी सूर्यवंशी पाल राजवंश की सभी शाखाओं से अपील की कि वे स्वर्गीय काशीनाथ पाल जी की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित होने वाले मिलन समारोह में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें। महुली महसों राजमहल में आयोजित एक विशेष संवाद में संत सूरजदास सूर्यवंशी ने घोषणा की कि वे स्वयं अपने पूर्वजों के घर-घर जाकर इस पवित्र कार्य के लिए आमंत्रण देंगे और कार्यक्रम को और भव्य बनाने का प्रयास करेंगे, ताकि काशीनाथ पाल जी के व्यक्तित्व से सभी प्रेरणा ले सकें।

इस अवसर पर संत सूरजदास सूर्यवंशी ने कहा, “स्वर्गीय काशीनाथ पाल जी एक ऐसे व्यक्तित्व थे, जिन्होंने राजवंश की सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत को संजोए रखा। 30 दिसंबर को होने वाले पुण्यतिथि समारोह को भव्य बनाने के लिए सभी शाखाओं का सहयोग जरूरी है। मैं स्वयं प्रत्येक घर तक पहुंचकर इस पुण्य कार्य में भाग लेने का निमंत्रण दूंगा।” उन्होंने जोर देकर कहा कि यह आयोजन न केवल एक पारिवारिक उत्सव होगा, बल्कि कत्यूरी सूर्यवंशी परंपरा को जीवंत रखने का माध्यम भी बनेगा। कत्यूरी सूर्यवंशी पाल राजवंश, जो सातवीं से ग्यारहवीं शताब्दी तक उत्तराखंड और नेपाल के पश्चिमी भागों पर शासन करने वाला प्राचीन वंश है, अपनी शैववाद और सूर्य उपासना की परंपराओं के लिए जाना जाता है।

काशीनाथ पाल जी, जो महसों के 22वें राजा (1930/1988) थे, का जन्म 1918 में हुआ था। वे स्वतंत्र पार्टी के सदस्य रहे और 1962 से 1967 तक उत्तर प्रदेश विधानसभा में विधायक (एमएलए) के रूप में सेवा की। उन्होंने रानी शैलेश्वरी कुमारी (जन्म 1915, मृत्यु 2007) से विवाह किया, जो मनकापुर के राजा रघुराज सिंह की पुत्री थीं। उनका निधन दिसंबर 1988 में हुआ, और उनकी विरासत आज भी राजवंश के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।

बैठक में मझले राजा के सुपुत्र श्री अंशुमान पाल जी भी मौजूद रहे, जिन्होंने संत सूरजदास सूर्यवंशी के आह्वान का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि पहले ही विचार-विमर्श में वैदिक पूजन, श्रद्धांजलि सभा और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की योजना बनाई गई है। अब संत की पहल से कार्यक्रम में और नई ऊर्जा का संचार होगा। स्थानीय वंशजों ने भी इस पहल का समर्थन करते हुए कहा कि काशीनाथ पाल जी के सामाजिक कार्यों और धरोहर संरक्षण के प्रयासों को युवा पीढ़ी तक पहुंचाना हमारा दायित्व है।

संत सूरजदास सूर्यवंशी ने आगे कहा कि वे अस्कोट क्षेत्र के साथ-साथ अन्य शाखाओं से भी संपर्क करेंगे, ताकि यह समारोह राजवंश की एकता और गौरव का प्रतीक बने। बैठक के बाद प्रतीकात्मक रूप से दीप प्रज्वलित कर सभी ने काशीनाथ पाल जी की स्मृति को नमन किया और 30 दिसंबर के कार्यक्रम को सफल बनाने का संकल्प लिया।

By- Kavindra Singh, अधिक जानकारी के लिए: www.devbhoomikelog.com | संपर्क: devbhoomikelog001@gmail.com

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