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जेवर-रेको डिटेक्टर मशीनों से रेस्क्यू तेज, धराली गांव में लगा चेतावनी अलर्ट

भारतीय सेना और तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू टीम धराली गांव में मलबे में फंसे लोगों की तलाश में अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग कर रही है। बचाव दल में कुल 13 सदस्य शामिल हैं, जो पिछले चार दिनों से जेवर और रेको डिटेक्टर मशीनों की मदद से कार्य कर रहे हैं। ये मशीनें विशेष रूप से बर्फीले क्षेत्रों में दबे लोगों का पता लगाने के लिए डिज़ाइन की गई हैं और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, जैसे मोबाइल फोन, के सिग्नल पकड़ने में सक्षम हैं।

  • जेवर मशीन: 20 मीटर की गहराई तक सिग्नल का पता लगा सकती है।
  • रेको मशीन: 8-10 मीटर की गहराई तक प्रभावी है।
    हालांकि, मलबे की भारी मात्रा के कारण अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है।

एनडीआरएफ का वार्निंग सिस्टम

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने धराली गांव के ऊपरी क्षेत्र में एक अर्ली वार्निंग सिस्टम स्थापित किया है। यह सिस्टम खीर गंगा के ऊपरी क्षेत्र में जलस्तर बढ़ने पर निचले इलाकों में तुरंत अलर्ट जारी करेगा, जिससे संभावित बाढ़ से बचाव संभव होगा।

संगठित राहत कार्य

  • इंसीडेंट कमांड पोस्ट: धराली में एनडीआरएफ के कंट्रोल रूम के साथ एक इंसीडेंट कमांड पोस्ट स्थापित किया गया है।
  • सेक्टर विभाजन: आपदा प्रभावित क्षेत्र को विभिन्न सेक्टरों में बांटा गया है, जिनकी जिम्मेदारी निम्नलिखित टीमें संभाल रही हैं:
    • सेक्टर-ए: एनडीआरएफ
    • सेक्टर-बी: भारतीय सेना
    • सेक्टर-सी: राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ)
    • सेक्टर-डी: भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी)
    • रोड सेक्टर: लोक निर्माण विभाग (लोनिवि), सीमा सड़क संगठन (बीआरओ), और बीजीबी रुड़की।

राहत और पुनर्वास प्रयास

  • निकासी: अब तक आपदा प्रभावित क्षेत्र से लगभग 1300 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है। प्रशासन का मानना है कि लगभग सभी फंसे हुए लोगों को निकाल लिया गया है।
  • राशन वितरण: सोमवार को 635 पैकेट सूखा राशन प्रभावित क्षेत्रों में भेजा गया।
  • संचार और बिजली: हर्षिल में एयरटेल, जियो, और बीएसएनएल की मोबाइल कनेक्टिविटी बहाल कर दी गई है। इसके साथ ही, माइक्रो हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजना के माध्यम से विद्युत उत्पादन शुरू हो गया है, और पावर हाउस तक बिजली आपूर्ति बहाल हो चुकी है।

निगरानी और चुनौतियाँ

  • ड्रोन निगरानी: एनडीआरएफ की छह और एसडीआरएफ की चार ड्रोन इकाइयों के माध्यम से क्षेत्र की निगरानी की जा रही है।
  • मौसम की बाधा: खराब मौसम के कारण यूकाडा के हेलिकॉप्टर उड़ान नहीं भर सके, जिससे राहत कार्यों में कुछ देरी हुई।

सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास, विनोद कुमार सुमन, ने बताया कि राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहे हैं, और प्रभावित क्षेत्र में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।

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