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अंकिता पाल का ग्राम प्रधान पद के लिए नामांकन: डीडीहाट-अस्कोट की एक साधारण बेटी का असाधारण संकल्प

खोलियागाँव, अस्कोट (डीडीहाट)। २3 जुलाई, २०२५: डीडीहाट-अस्कोट क्षेत्र की स्थानीय राजनीति में अंकिता पाल की चुनावी दावेदारी ने नई उम्मीद का संचार किया है। क्षेत्र की प्रिय बेटी, स्वतंत्र चेतना और अदम्य साहस की प्रतीक अंकिता पाल ने ग्राम प्रधान पद के लिए अपनी उम्मीदवारी की चुनावी दावेदारी की है। यह केवल एक चुनावी दावेदारी नहीं, बल्कि संसाधनों के अभाव और सामाजिक चुनौतियों से जूझकर स्वावलंबन और समर्पण से ऊँचाइयाँ छूने वाली एक युवती के अटूट विश्वास और जनकल्याण के प्रति उसकी गहरी प्रतिबद्धता का जीवंत प्रमाण है।

साधारण पृष्ठभूमि, असाधारण यात्रा:

अंकिता पाल की कहानी खोलियागाँव और आसपास के ग्रामीण अंचल की हर उस युवती के लिए प्रकाशस्तंभ है जो सपने देखती है। एक ऐसी पृष्ठभूमि से उभरीं, जहाँ संसाधन सीमित थे और चुनौतियाँ आम, अंकिता ने अपनी अथक मेहनत, अडिग लगन और स्वयं पर अगाध विश्वास के बल पर न केवल अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणा बन गईं। एक स्वतंत्र महिला के तौर पर उन्होंने किसी की सहारेबाजी के बिना अपना रास्ता स्वयं चुना, जनता के हित में संघर्ष किया और यह साबित किया कि दृढ़ इच्छाशक्ति के आगे कोई बाधा अटल नहीं रहती।

जनसेवा का संकल्प और दूरदर्शिता:

ग्राम सभा खोलियागाँव की शान अंकिता पाल ने अपने विनम्र मूल से ही प्रेरणा ली है। उनकी दृष्टि समाज के हर वर्ग – युवा, वृद्ध, महिला – के उत्थान और विकास पर केंद्रित है। बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता से लेकर शिक्षा के प्रसार और विशेषकर महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दे उनकी प्राथमिकताओं में शामिल हैं। उनकी संवेदनशीलता और जमीन से जुड़ाव ने उन्हें क्षेत्र की वास्तविक आवाज बना दिया है। स्थानीय निवासियों का मानना है कि अंकिता का हर कदम न सिर्फ उनके व्यक्तिगत संघर्ष की जीत है, बल्कि पूरे समुदाय की आकांक्षाओं को पंख लगाने वाला है।

समुदाय का गर्व और विश्वास:

डीडीहाट-अस्कोट के लोग अंकिता पाल की इस अविश्वसनीय यात्रा को अपार गर्व और गहन सम्मान के साथ देखते हैं। उनकी ईमानदारी, निस्वार्थ भावना और जनता के प्रति अटूट समर्पण ने उन्हें एक ऐसी नेत्री बना दिया है जिसका नाम की आज हर घर-आँगन में चर्चा है। युवा उनमें एक जीवंत प्रेरणा देखते हैं, जो सिखाती है कि साहस और परिश्रम से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। बुजुर्ग उनकी विनम्रता और समझदारी की कद्र करते हैं। महिलाओं के लिए तो अंकिता एक प्रतीक बन गई हैं, जिन्होंने यह प्रमाणित किया है कि लैंगिक रूढ़ियाँ उनकी प्रगति में रोड़ा नहीं बन सकतीं। उनकी अपार लोकप्रियता इस बात का स्पष्ट संकेत है कि वे केवल एक उम्मीदवार नहीं, बल्कि एक सकारात्मक परिवर्तन के आंदोलन की अगुआई कर रही हैं, जो डीडीहाट-अस्कोट क्षेत्र को नई ऊँचाइयों पर ले जाने का वादा रखता है।

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