हल्द्वानी, 19 अप्रैल 2025: कत्यूरी समाज और पहाड़ी आर्मी के प्रतिनिधियों ने आज हल्द्वानी के मेयर गजराज सिंह बिष्ट से मुलाकात कर रानीबाग को मानसखंड में शामिल करने और क्षेत्र के सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित करने की मांग की। इस दौरान काठगोदाम चौराहे का नाम राजमाता जिया चौक और रानीबाग-काठगोदाम क्षेत्र को जिया नगरी घोषित करने के लिए एक ज्ञापन सौंपा गया।
प्रतिनिधिमंडल में पहाड़ी आर्मी के संस्थापक हरीश रावत, संयोजक विनोद शाही, रमेश मनराल, चित्रागंद रावत, चंदन सिंह मनराल और राजेंद्र सिंह मनराल शामिल थे। कत्यूरी समाज की ओर से प्रस्तुत ज्ञापन में रानीबाग के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व पर प्रकाश डाला गया। रानीबाग, जो राष्ट्रीय राजमार्ग 109 पर हल्द्वानी नगर निगम की उत्तरी सीमा पर स्थित है, कत्यूरी राजवंश की रानी जिया से जुड़ा हुआ है। किंवदंती के अनुसार, रानी जिया ने गौला नदी के तट पर चित्रेश्वर महादेव मंदिर में पूजा की थी और रुहेला सरदारों के हमले से बचने के लिए अपने सम्मान की रक्षा करते हुए नदी के पत्थरों में समा गई थीं। उनकी स्मृति में यह क्षेत्र रानीबाग के नाम से जाना जाता है
ज्ञापन में मांग की गई कि रानीबाग को मानसखंड के रूप में मान्यता दी जाए, जो उत्तराखंड के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके साथ ही, काठगोदाम चौराहे का नाम राजमाता जिया के नाम पर और रानीबाग-काठगोदाम क्षेत्र को जिया नगरी घोषित करने की अपील की गई ताकि क्षेत्र की ऐतिहासिक पहचान को और मजबूती मिले।
पहाड़ी आर्मी के संस्थापक हरीश रावत ने कहा, “रानीबाग का कत्यूरी इतिहास और रानी जिया की वीरता हमारी सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा है। हम चाहते हैं कि इस क्षेत्र को मानसखंड के रूप में मान्यता मिले और इसका नाम जिया नगरी के रूप में स्थापित हो।” संयोजक विनोद शाही ने जोड़ा, “यह मांग न केवल स्थानीय समुदाय की भावनाओं को दर्शाती है, बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की दिशा में भी एक कदम है।”
मेयर गजराज सिंह बिष्ट ने प्रतिनिधिमंडल की मांगों को गंभीरता से सुना और आश्वासन दिया कि वह इस ज्ञापन को संबंधित अधिकारियों तक पहुंचाएंगे। उन्होंने कहा, “रानीबाग का ऐतिहासिक महत्व निर्विवाद है। हम इस प्रस्ताव पर विचार करेंगे और उचित कदम उठाएंगे।”
इस अवसर पर कत्यूरी समाज के अन्य सदस्यों ने भी रानी जिया के सम्मान में आयोजित होने वाले वार्षिक मेले, जिसे जिया रानी मेला कहा जाता है, के महत्व पर जोर दिया। यह मेला प्रत्येक मकर संक्रांति पर गौला नदी के तट पर चित्रेश्वर महादेव मंदिर के पास आयोजित होता है, जिसमें हजारों लोग भाग लेते हैं।
ज्ञापन सौंपने के बाद प्रतिनिधिमंडल ने मेयर का स्वागत किया और इस पहल के लिए उनका समर्थन मांगा। इस मांग को लेकर स्थानीय समुदाय में उत्साह देखा जा रहा है, और लोग उम्मीद कर रहे हैं कि रानीबाग की सांस्कृतिक पहचान को जल्द ही औपचारिक मान्यता मिलेगी।